हमारे समाज ने सदैव सनातन धर्म और राष्ट्र की रक्षा के
लिये सदैव ही समर्पित भाव से रक्षा की, आजादी की लड़ाई में हमारे समाज के अग्रज सर छोटूराम भी एक मिशाल है, आज हम और आपको पुनः सनातन धर्म की रक्षा के लिये अपनी संस्कृति को बचाने के लिये एक और लड़ाई लड़नी है। यह लड़ाई है हमारी समृद्ध भारतीय संस्कृति बनाम नग्न पश्चिम संस्कृति, दुर्भाग्य से आज हम अपनी समृद्ध संस्कृति को त्याग कर बिना गुण दोष के विचार किये पश्चिम (क्रिश्चियन) संस्कृति को अपनाने को आमादा हो रहे हैं। यह हमारी संस्कृति के साथ देश के लिये भी खतरे का संदेश है। क्योंकि संस्कृति से संस्कारों का निर्माण होता है। जब संस्कार नष्ट हो जायेगा तब समाज पथभ्रष्ट हो जायेगा। पथभ्रष्ट समाज पतन का निश्चित कारण बन जायेगा। जब समाज का पतन हो जायेगा तो राष्ट्र भी सुरक्षित नहीं रह सकता है।
अब समय है हम और आप आगे आकर पश्चिम संस्कृति की अंधी दौड़ से देश और समाज की रक्षा का सिर्फ संकल्प ही नहीं लें। इस लड़ाई के कर्णधार बन लड़ाई को विजय के मुकाम तक पहुँचायें।
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